उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए कथित गैंगरेप की घटना स्थल से कुछ दूर यहां बाजरे के खेत हैं। आदमी से ऊंची फसल लहलहा रही है तेज हवा चलती है। तो बाजरे की टकराती बालियां शोर करने लगती है। गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क से करीब 100 मीटर दूर बाजरे के खेत में कथित गैंगरेप हुआ था। घटनास्थल पर पत्रकारों का आना जाना लगा है।
यहाँ मिले स्थानीय पत्रकार कहते हैं यह घटना इतनी बड़ी नहीं थी जितनी बना दी गई इसकी सच्चाई कुछ और भी हो सकती है हालांकि अपनी बात के समर्थन में उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं है स्थानीय पत्रकारों के साथ हुई अनौपचारिक बातचीत से उठे सवाल को हाथरस के एसपी क्रांतिवीर का यह बयान और गहरा करता है कि मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने वाले डॉक्टरों ने अभी रेप की पुष्टि नहीं की है।
कथित गैंगरेप का शिकार हुयी पीड़िता के परिवार को मेडिकल रिपोर्ट नहीं दी गई है। जब पीड़िता को दिल्ली
के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था तब भी उनके परिजनों के पास मेडिकल रिपोर्ट नहीं थी। जब इस बारे में एसडीम क्रांतिवीर से सवाल किया गया तो उनका कहना था कि यह जानकारी गोपनीय जांच का हिस्सा है।
एसपी बार-बार इस बात पर जोर देते हैं कि पीड़िता के साथ उस तरह की दरिंदगी नहीं हुई जिस तरह मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है। वह कहते हैं उनकी जीभ नहीं काटी गई थी, रीड की हड्डी भी नहीं टूटी थी। गले पर दबाव बढ़ने की वजह से उनकी गले की हड्डी टूटी थी जिससे नर्व सिस्टम प्रभावित हुआ था।
घटना के कुछ देर बाद रिकॉर्ड किए गए वीडियो में पीड़िता ने अपने साथ बलात्कार की बात नहीं की है। इसमें उन्होंने मुख्य अभियुक्त का नाम लिया है और हत्या के प्रयास की बात की है।हालाँकि अस्पताल में रिकॉर्ड किए गए एक दूसरे वीडियो में और पुलिस को दिए गए बयान में पीड़िता ने अपने साथ गैंगरेप की बात की है।
पीड़िता ने अपने सबसे पहले बयान में सिर्फ एक ही युवक का नाम लिया था। इस सवाल पर उनकी मां कहती हैं "जब हम उसे बाजरा में से निकाल कर ले गए तो वह पूरी तरह बेहोश नहीं हुई थी। तब उसने एक का नाम बताया था। फिर एक घंटे बाद बेहोश हो गयी। 4 दिन बाद सूद आयी तो पूरी बात बताई कि 4 लड़के थे।
सफदरजंग अस्पताल ने जो पीड़िता की ऑटोप्सी रिपोर्ट जारी की है उसमें मौत का कारण गले के पास रीड की हड्डी में गहरी चोट और उसके बाद हुयी दिक्कतों को बताया गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि उसके गले को दबाए जाने के निशान है। 14 सितंबर को हुए इस कथित गैंगरेप के मामले में पुलिस ने एफ आई आर की धाराओं को तीन बार बदला है। पहले सिर्फ हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया गया था उसके बाद गैंगरेप की धाराएं जोड़ी गई।
दिल्ली के अस्पताल में 29 सितंबर को पीड़िता की मौत के बाद हत्या की धाराएं भी जोड़ी गई। पुलिस ने इस मामले में पहली गिरफ्तारी 5 दिन बाद की थी।
क्या पुलिस से जांच में लापरवाही है? इस सवाल पर पुलिस अधीक्षक कहते हैं कि 14 सितंबर को सुबह लगभग 9:30 बजे पीड़िता अपनी मां और भाई के साथ थाने आई थी। पीड़िता के भाई ने पुलिस को दी शिकायत में कहा था कि मुख्य अभियुक्त ने हत्या की मंशा से उसका गला दबाया है। ९:३० बजे मिली इस सूचना पर हमने 10:30 बजे f.i.r. कर ली थी।
इस पी विक्रांता कहते हैं पीड़िता को तुरंत जिला अस्पताल भेजा गया था जहां से उसे अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया था। इलाज भी तुरंत शुरू हो गया था। तहरीर के आधार पर पहली FIR 307 और एससी एसटी एक्ट के तहत दर्ज की गई थी।
फिर पीड़िता जब कुछ बोलने लायक हुई तो इनवेस्टिगेटिव अफसर (जो स्तर के अफसर हैं) ने बयां लिए। उसमें पीड़िता ने एक और लड़के का नाम लिया और कहा की उसके साथ छेड़खानी की गई। इस बयां के बाद एक और अभियुक्त का नाम रिपोर्ट में जोड़ा गया।
इसके बाद 22 तारीख को पीड़िता ने अपने साथ दुष्कर्म और ४ लोगों के शामिल होने की बात बताई। जब उससे पूछा गया कि पहले उसने दो लोगों के नाम क्यों लिए थे और छेड़खानी की बात क्यों बताई थी?तो उसने कहा कि इससे पहले उसे कुछ होश नहीं था। पीड़िता के इस बयान के बाद हमने 376डी यानि गैंगरेप की धारा जोड़ी और अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी।
जल्दी ही बाकी तीनों अभियुक्तों को भी गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया। पुलिस ने मंगलवार देर रात पीड़िता का अंतिम संस्कार भी कर दिया था। परिजनों का आरोप है कि उन्हें घर में बंद करके जबरदस्ती अंतिम संस्कार किया गया।
हालांकि पुलिस का कहना है कि परिजनों की मौजूदगी में में अंतिम संस्कार हुआ। इस तरह रात के अंधेरे में जबरदस्ती किए गए अंतिम संस्कार के बाद परिजनों और दलित समुदाय का गुस्सा और ज्यादा भड़क गया। कुछ लोग इसे पीड़िता का दूसरा बलात्कार बता रहे थे। आक्रोशित लोगों का कहना था कि पुलिस ने इस तरह अंतिम संस्कार करके दोबारा पोस्टमार्टम की संभावनाओं को खत्म कर दिया है।
पीड़िता के घर से अभियुक्तों का घर बहुत दूर नहीं है। एक बड़े संयुक्त घर में तीन अभियुक्तों के परिवार रहते हैं। एक अभियुक्त 32 साल का है और तीन बच्चों का पिता है। दूसरा 28 साल का है और उसके दो बच्चे हैं। बाकी दो अभियुक्तों की उम्र 20 साल के आसपास है उनकी शादी नहीं हुई है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से करीब 160 किलोमीटर दूर बसे इस गांव में अधिकतर ठाकुर और ब्राह्मण परिवार रहते हैं। दलितों के करीब दर्जन भर घर हैं जो आस पास ही है। दलितों और गांव के बाकी लोगों के बीच सीधा संबंध नजर नहीं आता। पोलिस ने गाओ पहुंचने के सभी रास्तों पर बेररिकॉटिंग की है।
अधिकतर लोगों को बाहर ही रखा जा रहा है पत्रकारों को भी पैदल ही गांव जाने दिया जा रहा है। सरकार ने अब इस घटना की जांच के लिए तीन सदस्यों की स्पेशल इन्वेस्टिगेटिव टीम का गठन कर दिया है जो बुधवार शाम हाथरस पहुंच गई। अब गांव की सीमाओं को मीडिया समेत बाकी सभी के लिए सील कर दिया गया है। एसआईटी ने अपनी जांच शुरू कर दी है एक हफ्ते बाद एसआईटी को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।
इसी एसआईटी की जांच रिपोर्ट से घटना का पूरा सच पता चलने की उम्मीद है। घटना का सच जो भी है इससे शायद अब बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। दलित समुदाय का गुस्सा इस घटना के बाद भड़का हुआ है उसे अब थामना बहुत आसान नहीं होगा।
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